RBI Monetary Policy 2024-25: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति की ताजा घोषणा की है, जिसमें ब्याज दरों में लगातार नौवीं बार कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में उथल-पुथल मची हुई है। जापान ने हाल ही में अपनी ब्याज दरों में वृद्धि की है, जबकि अमेरिका में फेडरल रिजर्व दरों में कटौती की योजना बना रहा है। इन वैश्विक घटनाओं के बावजूद, RBI ने रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है, जिससे होम लोन, कार लोन, और अन्य ऋणों की EMI में कोई वृद्धि या कमी नहीं होगी।
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ToggleRBI Monetary Policy: रेपो रेट पर RBI का निर्णय
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की कि रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रहेगा। इसका मतलब है कि किसी भी प्रकार के ऋण पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। यह निर्णय बाजार की स्थिरता और मौद्रिक नीति के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने बताया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 4:2 के बहुमत से ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय किया है।
RBI Monetary Policy: भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और GDP ग्रोथ
RBI ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को मजबूत बताया और कहा कि अगले वित्तीय वर्ष 2025 में GDP ग्रोथ 7.2% रहने का अनुमान है। गवर्नर ने कहा कि घरेलू आर्थिक वृद्धि मजबूत है और महंगाई में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता बनी हुई है और फॉरेक्स रिजर्व ऐतिहासिक स्तरों पर पहुंच चुके हैं।
RBI Monetary Policy: महंगाई दर और CPI का अनुमान
महंगाई को लेकर RBI ने कहा कि FY25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई 4.5% रहने की उम्मीद है।
- दूसरी तिमाही (Q2) में महंगाई दर 4.4% रहने का अनुमान है।
- तीसरी तिमाही (Q3) में यह दर 4.7% तक बढ़ सकती है।
- चौथी तिमाही (Q4) में CPI महंगाई दर 4.3% रहने की उम्मीद है।
- वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही (Q1FY26) में CPI महंगाई 4.4% तक रह सकती है।
RBI Monetary Policy: महंगाई पर गवर्नर का दृष्टिकोण
गवर्नर ने महंगाई के ट्रेंड पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अप्रैल-मई में रिटेल महंगाई 4.8% थी, जो जून में बढ़कर 5.1% हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि फूड इनफ्लेशन का रिटेल महंगाई पर बहुत बड़ा प्रभाव है, क्योंकि इसमें खाद्य महंगाई का वेटेज 46% है। मई-जून में रिटेल महंगाई में 75% योगदान फूड इनफ्लेशन का रहा। हालांकि, कोर महंगाई में गिरावट देखी गई है, लेकिन महंगाई को लेकर सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है।
RBI Monetary Policy: F&O ट्रेडिंग और निवेशकों के लिए RBI की सलाह
RBI गवर्नर ने F&O ट्रेडिंग और इक्विटी निवेश पर भी अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि RBI के अर्ली वॉर्निंग ग्रुप ने F&O ट्रेड्स के बारे में SEBI से चर्चा की है। गवर्नर ने कहा कि हम निवेशकों को यह सलाह नहीं दे रहे कि वे इक्विटी के बजाय डिपॉजिट में ज्यादा पैसे डालें, बल्कि निवेशकों को अपने निवेश के फैसले खुद लेने चाहिए। यह बयान निवेशकों को स्व-विवेक से निर्णय लेने और बाजार के जोखिमों को समझने के लिए प्रोत्साहित करता है।
RBI Monetary Policy: UPI और चेक क्लियरिंग पर बड़े फैसले
RBI ने UPI और चेक क्लियरिंग से जुड़े दो बड़े फैसले भी लिए:
- UPI से टैक्स पेमेंट्स की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है।
- चेक क्लियरिंग का समय घटा दिया गया है, जिससे अब चेक जमा होने के कुछ घंटों में ही क्लियर हो जाएंगे।
RBI Monetary Policy: बैंकों के लिए चेतावनी और सलाह
RBI गवर्नर ने बैंकों को गोल्ड लोन और होम लोन पर टॉप-अप लोन देने में सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि कुछ बैंक और NBFCs रेगुलेटरी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे मिले फंड का उपयोग अनप्रोडक्टिव और सट्टेबाजी के कामों में हो सकता है। उन्होंने बैंकों को इसका रिव्यू करने और आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।
RBI Monetary Policy: बैंकों की जमा वृद्धि में कमी
RBI गवर्नर ने बताया कि बैंकों की जमा वृद्धि में गिरावट आई है। रिटेल निवेशकों को अब वैकल्पिक निवेश पसंद आ रहे हैं, जिससे बैंकों की फंडिंग में दिक्कतें आ रही हैं। लोन ग्रोथ ने जमा वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है। इस स्थिति से निपटने के लिए बैंकों को अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और बड़े ब्रांच नेटवर्क के जरिए हाउसहोल्ड सेविंग्स पर फोकस करना चाहिए।
RBI Monetary Policy: ग्लोबल ग्रोथ आउटलुक और भविष्य की चुनौतियां
RBI गवर्नर ने ग्लोबल ग्रोथ आउटलुक पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कई ग्लोबल सेंट्रल बैंक अब दरें घटाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, जबकि कुछ देशों के सेंट्रल बैंकों ने दरों में वृद्धि भी की है। उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म में ग्लोबल ग्रोथ आउटलुक पॉजिटिव है, लेकिन मध्यम अवधि में चुनौतियां बनी रहेंगी।
RBI Monetary Policy: अमेरिकी मंदी पर गवर्नर का विचार
अमेरिका में संभावित मंदी पर सवालों का जवाब देते हुए गवर्नर ने कहा कि अमेरिका में एक महीने के बेरोजगारी के आंकड़ों के आधार पर स्लोडाउन और रेट कट का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि अभी अमेरिका में मंदी के बारे में कोई निश्चित बात कहना सही नहीं होगा।
RBI Monetary Policy 2024-25
इस बार की मौद्रिक नीति में RBI ने सावधानीपूर्वक और संतुलित निर्णय लिया है। रेपो रेट को स्थिर रखकर बाजार में स्थिरता बनाए रखने की कोशिश की गई है, जबकि महंगाई और अर्थव्यवस्था पर नजर बनाए रखने की जरूरत है। निवेशकों को स्व-विवेक से निवेश करने की सलाह दी गई है और बैंकों को अपने कामकाज में सुधार लाने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। कुल मिलाकर, यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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